साफ है और सुनी-सुनाई भी कि अरविंद केजरीवाल राजनीति की कुछ दूसरी बुराइयों के साथ-साथ अब जाति की राजनीति से भी परहेज नहीं करना चाहते हैं सुनी-सुनाई है कि कुमार विश्वास को राज्यसभा ना भेजने के पीछे अरविंद केजरीवाल के अपने कुछ तर्क है. केजरीवाल के सामने जब उनकी पार्टी के कुछ बड़े नेताओं ने राज्यसभा जाने की इच्छा जताई, तो उनका कहना था कि उन्हें लोकसभा और राज्यसभा दोनों का टिकट नहीं मिल सकता।
2014 के लोकसभा चुनाव के वक्त भी संजय सिंह अरविंद केजरीवाल के करीबी थे, लेकिन उन्हें उस वक्त दिल्ली की सात में से एक भी सीट से चुनाव नहीं लड़ाया गया था. सुनी-सुनाई है कि उसी वक्त यह तय हो गया था कि अगर दिल्ली में 2018 तक आम आदमी पार्टी की सरकार रही तो वे संजय सिंह को जरूर संसद पहुंचाएंगे. 2014 में किसी ने नहीं सोचा था कि लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी दिल्ली की सारी सीटें बुरी तरह हार जाएगी और विधानसभा चुनाव की 70 में से 67 सीटें जीत जाएगी. इस हिसाब से देखें तो जिन नेताओं ने सब्र नहीं रखा वे संसद जाने से चूक गए।
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